जीवन चरित्र
दिल में ईमान दिखे, सच को जो सच लिखे,
ऐसा सीधा-साधा जन, सोने से भी खरा है।
जिसका सम्मान गया, धन औ चरित्र गया,
आदमी जहाँ में ऐसा, जीते जी भी मरा है।
छोड़िए जी रंग-रूप, यौवन की ढले धूप,
देह भी न साथ देती, आता जब जरा है।
भीरु दिन रात डरे, हर पल रोज मरे,
मौत से कभी न सच्चा, शूरवीर डरा है।।
रणवीर सिंह (अनुपम)
*****
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.