Sunday, October 18, 2015

114. दिल में ईमान दिखे (कवित्त)

जीवन चरित्र

दिल में ईमान दिखे, सच को जो सच लिखे,
ऐसा सीधा-साधा जन, सोने से भी खरा है।

जिसका सम्मान गया, धन औ चरित्र गया,
आदमी जहाँ में ऐसा, जीते जी भी मरा है।

छोड़िए जी रंग-रूप, यौवन की ढले धूप,
देह भी न साथ देती, आता जब जरा है। 

भीरु दिन रात डरे, हर पल रोज मरे,
मौत से कभी न सच्चा, शूरवीर डरा है।। 

रणवीर सिंह (अनुपम)
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