Monday, January 29, 2018

504. तुमने देखा नहीं भूख को (मुक्तक

सार छंद (16/12) पर आधारित एक मुक्तक।

तुमने  देखा  नहीं  भूख  को,  नहीं  बेकली  देखी।
भूखे - प्यासे  अधनंगों  की,  नहीं   ज़िंदगी  देखी।
नाथ  लगाओ  नारे  यूँ  मत, यूँ नहिं  हमें  बनाओ।
कड़क ठंड में ठिठुरत काँपत, नहीं  बेबसी  देखी।

रणवीर सिंह (अनुपम)
29.01.2018
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