सार छंद (16/12) पर आधारित एक मुक्तक।
तुमने देखा नहीं भूख को, नहीं बेकली देखी।
भूखे - प्यासे अधनंगों की, नहीं ज़िंदगी देखी।
नाथ लगाओ नारे यूँ मत, यूँ नहिं हमें बनाओ।
कड़क ठंड में ठिठुरत काँपत, नहीं बेबसी देखी।
रणवीर सिंह (अनुपम)
29.01.2018
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