Thursday, January 25, 2018

495. मेरे ऊपर यह निशाना ठीक ना

495. मेरे ऊपर यह निशाना

मेरे ऊपर  यह   निशाना  ठीक  ना।
इस  तरह से तिलमिलाना ठीक ना।

रहने  दे   तू  आदमी   को  आदमी,
इसको' यूँ  ईश्वर  बनाना  ठीक  ना।

आप अपना  काम  करिये ठीक से,
और की कमियाँ  गिनाना ठीक ना।

हर्ष  औ  उत्कर्ष  का जब  वक्त हो,
मर्सिया  को   गुनगुनाना  ठीक ना।

बढ़ गया जो  प्यार  में तो  और बढ़,
हिचकिचाना लड़खड़ाना  ठीक ना।

थूकते  तो  थूक  पर   कायम  रहो,
थूककर  के  चाट  जाना  ठीक ना।

स्वयं  को   ऊँचा   बताने  के  लिए,
मेरु  को   टीला   बताना  ठीक ना।

आग  कब  अपना  पराया  देखती,
मान  जा  तीली  लगाना  ठीक ना।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
25.01.2018
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मेरु - एक पर्वत का नाम

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