Sunday, January 14, 2018

487. करोड़ों देवता मिलकर (मुक्तक)

487. करोड़ों देवता मिलकर (मुक्तक)

करोड़ों  देवता  मिलकर  हमारा दुख  न  हर  पाये।
हजारों  मर  गये  घीसू  न  जर   पाये  न  तर पाये।
कई मौकों पे' सोचा था  चलो अब छोड़  दें दुनिया।
कफन की फिक्र के कारण न जी  पाये न मर पाये।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
14.01.2018
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