दिगपाल छंद पर आधारित
मापनी - 221 2122 221 2122
491. है कौन सी मुसीबत (गीतिका)
है कौन सी मुसीबत, जो जिस्म यह उघारा।
काहे दिखा रही हो, इस देह का नजारा।
पर्दे पे इस तरह क्यों, अंगों की ये नुमाइश,
सचमुच नहीं है कोई, इसके बगैर न चारा?
अपने बदन की इज्जत, खुद ही नहीं करोगे,
क्यों दूसरा करेगा, सम्मान फिर तुम्हारा?
सदियाँ नहीं युगों में, जाकर बना ये कपड़ा,
क्या सोचकर के इससे, यूँ कर रहीं किनारा?
इज्जत की बात है तो, इज्जत से रहना होगा,
इज्जत बगैर जग ने, इज्जत से कब निहारा।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
20.01.2018
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