Saturday, January 27, 2018

501. बातैं हाथी पाइए (कुण्डलिया)

501. बातैं हाथी पाइए (कुण्डलिया)

बातैं    हाथी    पाइए,   बातैं   हाथी    पाँव।
बिना बात सम्मान नहिं, नगर होय  या गाँव।
नगर होय  या  गाँव, बात की महिमा न्यारी।
बात  बिगड़ जो जाय, त्याग दे दुनिया सारी।
ना  ही  दिवस  सुहाय, चैन  से  कटे  न रातैं।
बात-बात  पर  बात,  बात  बिन  होवें  बातैं।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
27.01.2018
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