Sunday, January 14, 2018

486. दो प्रकार के लोग हैं (कुण्डलिया)

486. दो प्रकार के लोग हैं (कुण्डलिया)

दो प्रकार के  लोग हैं,  दो प्रकार  के  भक्त।
एक चैन  से  खा  रहे, एक  भूख  से  त्रस्त।
एक भूख  से  त्रस्त, मौत  को  चूम  रहे  हैं।
फटी  लंगोटी  बाँध,  ठंड  में   घूम   रहे  हैं।
भूख, भोग, आतंक, देखिए सब विचार के।
एक विषय पर  मापदंड क्यों, दो प्रकार के।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
13.01.2018
*****

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.