Saturday, December 30, 2017

479. नववर्ष मंगलमय तुम्हें (हरिगीतिका छंद)

479. नववर्ष  मंगलमय तुम्हें (हरिगीतिका छंद)

नववर्ष  मंगलमय तुम्हें,  तुमको मेरी  शुभकामना।
चहुँदिश धरा पर शांति हो, चहुँओर हो सदभावना।
यह  राष्ट्र उन्नति  का  शिखर, छूता  रहे है कामना।
उत्कर्ष  ही  उत्कर्ष  हो,  प्रभु  से  यही   है प्रार्थना।

जड़ता  मिटे हर  सोच  से, आलस्य तन से दूर हो।
हर एक जीवन  हो सुखी, उल्लास  से  भरपूर  हो।
आशा  उमंगों  का  यहाँ,  हर  जीव  में  संचार हो।
चेतन-अचेतन  हर किसी से, मित्रवत व्यवहार हो।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
31.12.2017
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479. नववर्ष  मंगलमय तुम्हें (हरिगीतिका छंद)

नववर्ष  मंगलमय तुम्हें,  सबको मेरी  शुभकामना।
चहुँदिश धरा पर शांति हो, चहुँओर हो सदभावना।
यह  राष्ट्र उन्नति को  छुए, ऐसी  करें हम साधना। 
उत्कर्ष  ही उत्कर्ष  हो,  प्रभु  से  यही   है प्रार्थना।

जड़ता  मिटे हर  सोच  से, आलस्य तन से दूर हो।
हर एक जीवन  हो सुखी, उल्लास  से  भरपूर  हो।
आशा  उमंगों  का  यहाँ,  हर  जीव  में  संचार हो।
चेतन-अचेतन  हर किसी से, मित्रवत व्यवहार हो।

रणवीर सिंह "अनुपम"
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