Saturday, December 23, 2017

470. तोले भर ही अक्ल थी (कुण्डलिया)

470. तोले भर ही अक्ल थी (कुण्डलिया)

तोले भर  ही अक्ल थी, समझे  मेरा  यार।
और पौन उसको  मिली, बाकी  में संसार।
बाकी  में   संसार, सृष्टि  में  वो  ही  ज्ञानी।
ऐंठा - ऐंठा  फिरे, चूर  मद  में  अभिमानी।
बोले ओछा हीन, नासमझ जब  भी  बोले।
बोलन से यह पूर्व, शब्द को कभी न तोले।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
23.12.2017
*****
तोले - एक तोला (सोना तौलने की एक माप)

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.