472. दूल्हा बन इतरा मती (कुण्डलिया)
दूल्हा बन इतरा मती, ओ बौरे नादान।
यह तेरी स्वछन्दता, कुछ दिन की मेहमान।
कुछ दिन की मेहमान, अकड़, आजादी तेरी।
सब जाएगा भूल, याद रख बातें मेरी।
वो दिन अब नहिं दूर, फूँकियै जा दिन चूल्हा।
वा दिन पुछिहैं आय, कहो हो कैसे दूल्हा।
रणवीर सिंह'अनुपम'
24.12.2017
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