477. तन तेरा ऐसा लगता है
तन तेरा ऐसा लगता है, जैसे फूलों की वादी है।
तू हुश्न की' मलिका धरती पर, तू परियों की शहजादी है।
आँखों में मय का सागर है, तुझको दुनिया से क्या डर है,
जिससे टकराता हुश्न तेरा, उसकी होती बरबादी है।
इस दृष्टि ने' कत्लेआम किया, कइयों का काम तमाम किया,
तेरी चितवन चित्त चुरा लेती, मम नज़र तो सीधी-साधी है।
तेरी गिरफ्त में फँस करके, है जान निकलती हँस-हँस के,
तेरी जुल्फों का कैदी बन, किसको भाती आज़ादी है।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
26.12.2017
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