Saturday, December 02, 2017

453. आवत है सो जात है (कुण्डलिया)

453. आवत है सो जात है (कुण्डलिया)

आवत  है  सो  जात  है,  राजा   हो   या  रंक।
चाहे  भोली   मीन   हो,  या   हो  ढोंगी  कंक।
या हो  ढोंगी  कंक,  कर्म  से  नहिं  बच  पाये।
नोच-नोच  के बाज, एक  दिन  इसको  खाये।
जिसने  लीन्हा जन्म, काल के  गाल समावत।
कूटनीति छलछंद, काम कुछ भी नहिं आवत।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
02.12.2017
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कंक - बगुला

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