Friday, December 08, 2017

458. राजनीत में होड़ है (कुण्डलिया)

458. राजनीत में होड़ है (कुण्डलिया)

राजनीत  में   होड़   है,  को  है  कितना  नीच।
ऊँचों  के  मस्तिष्क  में,  गोबर, कचड़ा, कीच।
गोबर, कचड़ा,  कीच, जहर  इनकी  बातों  में।
रहे   देश   को  बाँट,   रोज   धर्मों - जातों   में।
सब कुछ जायज लगे, आजकल इन्हें जीत में।
सेक्स  सीडियाँ  बनें,  बटें  अब  राजनीति  में।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
07.12.2017
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