Tuesday, December 26, 2017

476. हम सदा जलते रहें

476. हम सदा  जलते रहें

हम सदा  जलते  रहें,  हर  रोशनी  उनके  लिए हो।
गम  बने  हमदर्द  मेरा,  हर  खुशी  उनके  लिए हो।
पत्थरों पर  हम  चलें  औ, मखमलें उनके लिए हों।
ठोकरें   खाते  रहें  हम,  मंज़िलें  उनके   लिए  हों।

पतझड़ें  मेरे  लिए  हों,  हर  चमन उनके  लिए हो।
हम  जुदाई  में जियें पर, हर मिलन उनके लिए हो।
हारते  उनसे  रहें  हम,  हर  फतह  उनके  लिए हो।
इस जमीं औ चाँद-सूरज, की सतह उनके लिए हो।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
26.12.2017
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