464. बिगाड़ा बुआ (कुण्डलिया)
कलुआ घर आयी लगन, बुआ बिगाड़ा आय।
चिरपरिचित अंदाज में, आशिष दी हर्षाय।
आशिष दी हर्षाय, लाल पर दुक्ख न आवे।
जैसे टीबी भयी ठीक, मिर्गी हो जावे।
लड़की वाले चले छोड़, तब पूड़ी हलुआ।
बिना बियाहे आज रह गया, फिर से कलुआ।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
11.12.2017
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