Wednesday, December 02, 2015

157. गीता सारे विश्व को (कुण्डलिया छंद)

गीता सारे  विश्व  को,  कर्मयोग  सिखलाय।
किंकर्तव्यविमूढ़   में,  हमें   राह  दिखलाय।
हमें राह  दिखलाय, कहे  संग  रहो  धर्म के।
फल की चिंता छोड़, भाग्य है जुड़ा कर्म से।
जो जन्मे  सो मरे, कौन सदियों  तक जीता।
जन्म-मरण  का मर्म,  हमें समझाती  गीता।

रणवीर सिंह (अनुपम)
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