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Monday, November 30, 2015
156. सरस्वती वंदना (कुण्डलिया छंद)
माता जो आता मुझे, वो तो है तृणभार।
जो मुझको आता नहीं, वो पर्वत उनहार।
वो पर्वत उनहार, पुत्र पर किरपा करिये।
आलोकित पथ करो, मात सब तम को हरिये।
सच को सच लिख सकूँ, रहे सच से ही नाता।
इतनी कृपा करो आज, इस सुत पर माता।।
रणवीर सिंह (अनुपम)
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