Sunday, November 22, 2015

152. मेरे स्पर्श को पाकर

मे'रे   स्पर्श   को  पाकर,  नशे   में   डोलते   हैं  वो।
"मुझे यूँ तंग मत  करिये", सिमट  कर  बोलते है वो।
हजारों मिन्नतों के  बाद, उनको  कुछ  रहम  आता।
कहीं तब लाज के घूँघट, के' पट को खोलते हैं वो।।

रणवीर सिंह (अनुपम)
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मे'रे  स्पर्श  को  पाकर,  नशे  में   डोलने   लगते।
फिजां में मस्त नज़रों से, नशा सा  घोलने  लगते।
पिलाकर जाम आँखों से, मुझे मदहोश करके वो।
हया औ शर्म के घूँघट, को' थोड़ा खोलने लगते।।
रणवीर सिंह (अनुपम)
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