Monday, November 16, 2015

148. नैतिकता आदर्श मिट गए

नैतिकता, आदर्श मिट गए, अब आधुनिक जमाने में।
नेकी और ईमान बिक गए, अपना काम चलाने में॥

मुगल हुमायूँ-कर्णवती  से, रिश्ते कौन बनाता अब,
नर-नारी आधुनिक हो रहे, ये नहिं उन्हें सुहाता अब,
कैसे - कैसे  काम  हो रहे, कारोबार चलाने  में॥

नया  जोश अब, नई  उमंगें, नई सभ्यता  है आई,
आज  सभ्य लोगों ने ली  है, नंगे  होकर अँगड़ाई,
क्या-क्या मिले देखने को अब, यारो नए जमाने में॥

आज जवानी बनी हुई  है, पर्दों का बस आकर्षन,
आज खुली जंघाएं लेकर, इठलाता  फिरता यौवन,
यौवन गर्वित हुआ झूमता, अपनी देह दिखाने में॥

टुन्न चमेली पौआ पीकर, मुन्नी भी बदनाम फिरे, 
अरु मुन्नी वो काम कर रही, जो न झंडू बाम करे, 
पर्दे पर  यों  दिखें नारियाँ, आती लाज बताने में॥  

नंगे  होकर ट्रांजिस्टर  संग, आमिर खाँ प्रचार करे, 
वस्त्र त्यागकर आज सभ्यता, लोगों को हुशियार करे,
जिस्मों का उपयोग  हो  रहा, अब  बाजार बढ़ाने  में॥
रणवीर सिंह (अनुपम)
*****
गीत (16/14)

संस्कार आदर्श मिट गए,
अब इस नए ज़माने में।
नेकी औ ईमान बिक गए,
अपना काम चलाने में॥

नया  जोश अब, नई  उमंगें,
नई सभ्यता  है आई,
आज  सभ्य लोगों ने ली है,
नंगे  होकर अँगड़ाई।

क्या-क्या मिले देखने को अब,
यारो नए जमाने में॥ 1

आज जवानी बनी हुई  है,
पर्दों का बस आकर्षन।
आज खुली जंघाएं लेकर,
इठलाता  फिरता यौवन।

यौवन गर्वित हुआ झूमता,
अपनी देह दिखाने में॥ 2

टुन्न चमेली पौआ पीकर,
मुन्नी भी बदनाम फिरे, 
औ मुन्नी वो काम कर रही,
जो न झंडू बाम करे।

पर्दे पर यों दिखें नारियाँ,
आती लाज बताने में॥ 3

नंगे होकर ट्रांजिस्टर  संग,
आमिरखाँ प्रचार करे, 
वस्त्र त्यागकर आज सभ्यता,
लोगों को हुशियार करे।

जिस्मों का उपयोग हो रहा,
अब  बाजार बढ़ाने  में॥ 4

रणवीर सिंह (अनुपम)
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