Monday, November 23, 2015

153. कुछ दोहे-2 (नेता और जनता)

चुनकर भेजा था जिन्हें, वो बन बैठे भाट।
वोट कीमती दे उन्हें, हाथ लिए हैं काट।। 1

बिकें विधायक शान से, लगी हुई है हाट।
नेता चूसे देश को, पब्लिक बारह बाट।। 2

भूखी जनता, अन्न की, कब से देखे बाट।
वोही खाली पेट है, वोही टूटी खाट।। 3

महलों ने हरदम करी, झोपड़ियों से घाट।
सब कुछ हमरा छीन के, कर दिया बारह बाट।। 4

दूध, दही, धन-सम्पदा, उन्हें महल, रजपाट।
हमको फटी कमीज बस, औ इक टूटी खाट।। 5

सुरा-सुंदरी, दावतें, प्रभु का उन पर हाथ।
भूख-प्यास, बीमारियाँ, सब हरिया के साथ।। 6

सरकारें आईं गयीं, सकी न बेड़ी काट।
दूरी राजा रंक की, नहीं सकी वो पाट।। 7

रणवीर सिंह (अनुपम)
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