Saturday, November 14, 2015

143. जब भी गुजरा कोई दिल से

जब भी गुजरा कोई दिल से, रहगुज़र बनती रही,
राहबर बनके हमारी, ज़िंदगी जलती रही,
गम-ए-गेती, गम-जनानां और कंगाली का गम,
दर्द सीने में दफन कर, ज़िंदगी चलती रही॥

रणवीर सिंह (अनुपम)

गम-ए-गेती= दुनियाँ का गम
गम-जनानां= प्रेमिका का गम
*****

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.