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Friday, November 13, 2015
138. आइने के सामने घंटों
आइने के सामने,घंटों खड़े रहते हैं
वो, देखते निजि रूप
को, सज-सज, सँवर-सँवर, कैसे दर्पण धैर्य को, रखता है बाँधकर, मैं
अगर होता तो कब का, टूटकर जाता बिखर॥ रणवीर
सिंह (अनुपम *****
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