Saturday, November 14, 2015

141. ज़िन्दगी इक राग है

फिलहाल यही है

जिंदगी इक राग है, सुर-ताल यही है,
कभी यह तलवार, कभी ढाल यही है॥

जीवन है एक नेमत, जीवन हसीन है,
फिर भी किसी की जान का, जंजाल यही है॥

आगे का किसने देखा, आगे क्या पता,
आगे की बात छोड़िए, इस साल यही है॥

आना जो चाहो आइए, मर्जी है आप की़,
जीने के लिए जो है, फिलहाल यही है॥

होंठों को जिसने चूमा, गालों को छुआ है,
हाथों में सजता जो रहा, रूमाल यही है॥

गोरी बिचारी गाँव की, रंग-रूप ढक रही,
उस नासमझ को क्या पता, टकसाल यही है॥

आदर्श, नेकनियती, 'अनुपम' की जिंदगी,
लालच के हाथों न गली, वो दाल यही है॥

रणवीर सिंह (अनुपम)
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