Sunday, December 20, 2015

175. अजब था हाल दोनों का

विधाता/शुद्धगा छंद (14/14)

अजब था हाल दोनों का, अजब थे वो पुराने दिन।
अकेले रात भर जगना, तड़फ के वो सुहाने दिन।
जरा सी ज़िन्दगी उससे भी' कम है नौजवानी ये,
मनाने-रूठने में अब नहीं हमको गँवाने दिन।।
रणवीर सिंह (अनुपम)
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