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उमंगों औ तरंगों के, नशे में डोलने लगते, फिजां में मस्त नज़रों से, नशा सा घोलने लगते, पिलाकर जाम आँखों से, हमें मदहोश करके वो, हया औ शर्म के घूँघट, को' कुछ-कुछ खोलने लगते।। रणवीर सिंह (अनुपम) *****
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