Sunday, December 13, 2015

166. उमंगों औ तरंगों के नशे में

उमंगों औ तरंगों के, नशे में डोलने लगते,
फिजां में मस्त नज़रों से, नशा सा घोलने लगते,
पिलाकर जाम आँखों से, हमें मदहोश करके वो,
हया औ शर्म के घूँघट, को' कुछ-कुछ खोलने लगते।।
रणवीर सिंह (अनुपम)
*****

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.