मापनी-122 122 122 122
नहीं ठीक यूँ दिल, दुखाने की बातें।
चलो हम करें मन, मिलाने की बातें।
कदम दो बढ़े हम, कदम दो बढ़ो तुम,
करें फासले को, मिटाने की बातें।
दिलों में जो गाँठों, को पाले हुए हैं,
उन्हीं को करें अब, गलाने की बातें।
किसी पे भरोसा, तो करना पड़ेगा,
अजी छोड़िये आजमाने की बातें।
अगर आ गए हो, तो पहलू में बैठो,
करें आज रिश्ते, निभाने की बातें।
अगर प्रेम करते, तो इकरार करिये,
अरे छोड़िये अब, लजाने की बातें।
अभी ठीक से बैठ पाये नहीं हो,
अभी से करो यार जाने की बातें।
सभी था हवाई, हवाई थे नारे,
वो अच्छे दिनों को दिखाने की बातें।
हवा दे रहे क्यों, हो चिनगारियों को
करो क्यों मेरा घर, जलाने की बातें।
चढ़ा आस्तीनें, वो मंचों पे करते,
खुलेआम दंगे, कराने की बातें।
समझनी ही होगी, सियासत हमें भी
करें क्यों हमें ये, लड़ाने की बातें।
सदा से बनाते, हमें आ रहे हो,
अजी कर रहे फिर, बनाने की बातें।
हमें सिर्फ नादां, न समझे जमाना,
समझता हूँ मैं भी, जमाने की बातें।
दिए जख्म जो भी, सियासत ने हमको,
करें उन पे मलहम, लगाने की बातें।
गमों से उबरने, की कोशिश करें फिर,
करें फिर से हम मुस्कराने की बातें।।
रणवीर सिंह (अनुपम)
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