Friday, December 25, 2015

180. मुखौटों पर, मुखौटों को

मापनी-1222   1222   1222   1222

मुखौटों   पर  मुखौटों  को,  लगाना  कब   हमें  आया।
कहें   कहकर  पलट  जाएँ,   हुनर   हमने  कहाँ  पाया।
कभी इसकी कभी उसकी, तमन्ना कब  रही "अनुपम"।
जनम ले सिंह का, जूठन, अगर खाया तो' क्या खाया।।

रणवीर सिंह (अनुपम)
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