Saturday, December 05, 2015

159. पति पत्नी दोऊ बने (कुण्डलिया)

पति-पत्नी दोऊ बने, सुख-दुःख के हक़दार।
ऐसे रिश्तों से फले, प्रीत और परिवार।
प्रीत और परिवार, इन्हें आदर्श बनाते।
पत्नी जब हो संग, पती इज्जत को पाते।
घर में रहकर मित्र, बात भार्या की सुननी।
तभी कुशल सर्वत्र, रहें मिलजुल पति-पत्नी।।

रणवीर सिंह (अनुपम)
*****

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.