साथियो! एक मुक्तक मेरी प्रेरणा, मेरी अर्धांगिनी के बारे में।
मापनी - 122 122 122 122
तुम्हीं प्यार हो और कारण तुम्हीं हो।
मे'रे दर्द, ग़म का, निवारण तुम्हीं हो।
तुम्हीं से शुरू गीत, तुम पर खतम हैं।
तुम्हीं छंद मेरे, उदाह'रण तुम्हीं हो।।
रणवीर सिंह (अनुपम)
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