Sunday, December 27, 2015

183. तुम्हीं प्यार हो और कारण (मुक्तक)

साथियो! एक मुक्तक मेरी प्रेरणा, मेरी अर्धांगिनी के बारे में।
मापनी - 122  122  122  122

तुम्हीं प्यार हो और कारण तुम्हीं हो।
मे'रे दर्द, ग़म का, निवारण तुम्हीं हो।
तुम्हीं से शुरू गीत, तुम पर खतम हैं।
तुम्हीं छंद मेरे, उदाह'रण तुम्हीं हो।।

रणवीर सिंह (अनुपम)
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