मापनी - 221 2122 221 2122
समान्त - आरता
पदांत - मैं
उसको निहार करके, किसको निहारता मैं।
उसका विचार करके, किसको विचारता मैं।।
जिसको समझ रहा हूँ, भगवान के बराबर,
बोलो उसे नजर से, कैसे उतारता मैं।।
जग को सुधारने का, जिनने लिया है' ठेका,
ऐसे सुधारकों को, कैसे सुधारता मैं।।
भगवान मंदिरों में, खुद कैद दिख रहे हैं,
फिर कौन देवता को, लोगो पुकारता मैं।।
रणवीर सिंह (अनुपम)
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