कुण्डलिया
आली नख-शिख तक जा, श्यामल केश सँभार।
नथनी, झुमका, चूड़ियाँ, डाल गले में हार।
डाल गले में हार, बाँध गजरा औ पायल।
कजरे को दे धार, पिया को कर दे घायल।
छिड़क देह पर इत्र, लगा होंठों पर लाली।
रति सा मुझे निखार, आज ओ मेरी आली।।
रणवीर सिंह (अनुपम)
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