Friday, February 19, 2016

218. आली मम नख-शिख (कुण्डलिया)

कुण्डलिया

आली नख-शिख  तक जा, श्यामल केश सँभार।
नथनी,  झुमका,  चूड़ियाँ,   डाल  गले   में   हार।
डाल   गले   में  हार,  बाँध   गजरा  औ   पायल।
कजरे  को  दे  धार,  पिया   को   कर  दे  घायल।
छिड़क  देह   पर  इत्र,  लगा  होंठों   पर   लाली।
रति  सा  मुझे  निखार,  आज  ओ  मेरी  आली।।

रणवीर सिंह (अनुपम)
*****

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.