Tuesday, February 16, 2016

215. धीरे से बज बावली (कुण्डलिया)

कुण्डलिया

धीरे  से  बज  बावली,  मत  कर  इतना  शोर।
पहले   ही   बदनाम   हूँ,  चर्चा    है  चहुँओर।
चर्चा  है   चहुँओर,  मान  मम  बात  निगोड़ी।
लाज शर्म  को छोड़, अरे  मत  बने  छिछोड़ी।
विरहा  की  ये  आग, नहीं  अब  जाय सही रे।
बजना  ही   है  सौत,  अरे   बज   धीरे - धीरे।

रणवीर सिंह (अनुपम)
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