Saturday, February 13, 2016

210. शौक तुम्हारे में प्रिये (कुण्डलिया)

कुण्डलिया

शौक  तुम्हारे  में  प्रिये, खाली  रहती  जेब।
हर पल  मुझे सतात है,  यही  तुम्हारा  ऐब।
यही  तुम्हारा   ऐब,  हमें   पड़ता  है  भारी।
क्रय को करिए  बंद, आ  गई अब लाचारी।
लिखा भाग  का लेख, नहीं  टरता  है  टारे।
कर   देंगे  कंगाल,  हाय  ये  शौक  तुम्हारे।

रणवीर सिंह (अनुपम)
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