कुण्डलिया
शौक तुम्हारे में प्रिये, खाली रहती जेब।
हर पल मुझे सतात है, यही तुम्हारा ऐब।
यही तुम्हारा ऐब, हमें पड़ता है भारी।
क्रय को करिए बंद, आ गई अब लाचारी।
लिखा भाग का लेख, नहीं टरता है टारे।
कर देंगे कंगाल, हाय ये शौक तुम्हारे।
रणवीर सिंह (अनुपम)
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