Thursday, February 11, 2016

204. कौन भुला पाया है जग में (मुक्तक)

ताटंक छंद

कौन भुला पाया है जग में, प्यार में' मरनेवालों को।
दुनियाँ नमन किया करती है, सूली चढ़नेवालों को।
परहित सा कोई धर्म नहीं है, पर पीड़ा सा पाप नहीं,
मन को शांति कभी नहीं' मिलती, पीड़ा देनेवालों को।।

रणवीर सिंह(अनुपम)
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