मापनी - 221 2122, 221 2122
कोई बुला रहा है, आवाज दे के' हम को।
फिर से जगा रहा है, दिल में हमारे' गम को।
जग को बताउँ कैसे, हालात यार दिल के।
जो-जो गुजर रही है, कैसे कहूँ सनम को।
तुमने न भूख देखी, देखी न बेकली है।
देखी न पीर मेरी, देखा न उर के' तम को।
हमको न तुम बनाओ, सौगंध तुम न खाओ।
देखा करीब से है, तुझको ते'री कसम को।
रणवीर सिंह (अनुपम)
*****
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.