Saturday, February 13, 2016

208. दुनियाँ भर के रूप से (कुण्डलिया)

208. कुण्डलिया

दुनिया भर  के  रूप  से, ईश्वर  दीन्हा  लाद।
हुश्न तुम्हारा  सृष्टि को, कर  नहिं  दे  बर्बाद।
कर  नहिं  दे बर्बाद,  रूप तुम्हरा  मतवाला।
उन्नत उभरा वक्ष, गाल पर तिल यह काला।
नथनी, झुमके, हार, चूड़ियाँ अरु पैजनिया।
इतना सब  इक साथ, देख  बौराई  दुनिया।

रणवीर सिंह (अनुपम)
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