Sunday, February 14, 2016

212. चंचल मुखड़ा देखकर (कुण्डलिया)

कुण्डलिया

चंचल मुखड़ा देखकर, किसको रहता होश।
विश्व  मोहिनी  रूप  ये,  कर  देता  मदहोश।
कर  देता  मदहोश,  हुश्न  ये  चढ़ता  यौवन।
मद्य भरे  ये  नैन,  सैन  ये  तिरछी  चितवन।
देख  मनोहर  रूप, चाँद  है  उखड़ा-उखड़ा।
छीन रहा सुख चैन, हाय  ये चंचल  मुखड़ा।।

रणवीर सिंह (अनुपम)
*****

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.