Friday, February 12, 2016

205. पायल मद में चूर है (कुण्डलिया)

कुण्डलिया

पायल मद में चूर  है,  अब  नहीं  सुनती  बात।
जब  चाहे  तब  बज उठे, दिन  देखे नहिं  रात।
दिन  देखे  नहिं  रात,  प्रेमधुन  रह - रह  गाये।
छेड़  विरह  की  तान, जिया  में  आग  लगाये।
निश-दिन आठों पहर, हिया को करती घायल।
लोक-लाज  सब  छोड़,  फिरे   बौराई  पायल।

रणवीर सिंह (अनुपम)
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