Sunday, April 28, 2019

762. जो थे कंचे काँच के (कुंडलिया)

762. जो थे कंचे काँच के (कुंडलिया)

जो थे कंचे काँच  के, हुए  सभी अनमोल।
असली हीरों का यहाँ, दो कौड़ी का मोल।
दो कौड़ी का  मोल, बचा  है  सच्चाई का।
लुच्चों  का  है  राज, जमाना  लुच्चाई का।
देशभक्त  कहलांय, दिखाते  जौन  तमंचे।
कोहनूर  हो  गए, काँच  के  जो  थे  कंचे।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
28.04.2019
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