751. जा चुनाव ने बदरा फारे (गीत)
जा चुनाव ने बदरा फारे,
अब ये नाहिं जुरैंयाँ।
कोई कहे अली हैं मेरे,
कोई कहे बली हैं।
कोई इनकी जाति बतावै,
बातें यही खली हैं।
ये तो है शुरुआत, कसम से,
रोके नहीं रुकैंयाँ।
धर्म-जाति में बाँट रहे हैं,
आग उगलती बातें,
झूठ लगे वसुधैव कुटुंबकम,
सच हैं केवल जातें,
पता नहीं ये शातिर नेता,
क्या-क्या यहाँ करैंयाँ
कौन देवता कहे लड़ो तुम,
नाम हमारे लेकर,
को अवतारी, को पैगंबर,
ज्ञान गया यह देकर।
मेरी मानो जा नफरत से,
कोई नाहिं तरैंयाँ।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
11.04.2019
*****
जा-इस; बदरा- बादल; फारे-फाड़ डाले; जुरैंयाँ-जुड़ने वाले; रुकैंयाँ-रुकने वाला; जातें-जातियाँ; करैंयाँ-करने वाले; तरैंयाँ-तरने वाला।
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.