Thursday, April 04, 2019

744. जनता जाए भाड़ में (कुंडलिया)

744. जनता जाए भाड़ में (कुंडलिया)

जनता जाए  भाड़ में, क्या करना  है जिक्र।
कैसे अपना  हो भला, बस  ये  ही है फिक्र।
बस ये  ही है फिक्र, अरबपति   कैसे  होऊँ।
लूटन का  सौभाग्य, मिला तो  काहे  खोऊँ।
अपना तो  हर काम, यहाँ  बेखटके  बनता।
देश  भाड़ में  जाय, भाड़  में  जाए जनता।

जनता जाए  भाड़ में, क्या  करना  है जिक्र।
कैसे अपना हो भला, इनको बस यह फिक्र।
इनको बस यह  फिक्र, अरबपति कैसे होएं।
लूटन का  सौभाग्य, मिला  तो  काहे  खोएं।
रोक-टोक के  बिना, काम है  इनका बनता।
देश  भाड़ में  जाय, भाड़  में  जाए  जनता।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
04.04.2019
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