Sunday, April 28, 2019

761. चंपा बेला कुमुदिनी (कुंडलिया)

761. चंपा बेला कुमुदिनी (कुंडलिया)

बेला, चंपा, कुमुदिनी, लगो खिली  कचनार।
ऋषियों का व्रत खंड हो, तुम वो चंचल नार।
तुम वो  चंचल नार, ईश खुद  जिसे  गढ़ा है।
अंग-अंग  पर  रंग,  रूप,  लावण्य  चढ़ा  है।
कितने जप-तप छोड़, बन गए  तुम्हरे चेला।
जब  से आईं  आप, आ गई  मधुरिम  बेला।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
28.04.2019
*****

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.