761. चंपा बेला कुमुदिनी (कुंडलिया)
बेला, चंपा, कुमुदिनी, लगो खिली कचनार।
ऋषियों का व्रत खंड हो, तुम वो चंचल नार।
तुम वो चंचल नार, ईश खुद जिसे गढ़ा है।
अंग-अंग पर रंग, रूप, लावण्य चढ़ा है।
कितने जप-तप छोड़, बन गए तुम्हरे चेला।
जब से आईं आप, आ गई मधुरिम बेला।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
28.04.2019
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