Saturday, April 27, 2019

760. बिना ही दोष के (मुक्तक)

760. बिना ही दोष के (मुक्तक)

बिना  ही  दोष  के  हमको न  डाँटिए  साहब।
हमें  मत  धर्म  अरु जातों  में  बाँटिए  साहब।
क्रांति की कोपलें एक दिन हमीं से निकलेंगी।
इसलिए  होश में रह  हमको  छाँटिए  साहब।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
28.04.2019
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