Wednesday, November 21, 2018

649. आदमी की खाल ओढ़े (मुक्तक)

649. आदमी की खाल ओढ़े (मुक्तक)

आदमी  की  खाल ओढ़े, भेड़िए अब  आ  गए।
गाँव, कस्बों, देश भर में, हर जगह  ये  छा  गए।
है समय खुद को बचा लो, नरपिशाचों से अभी।
फिर  न कहना  ये हमारे, अस्थिपंजर खा    गए।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
21.11.2018
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