Sunday, November 11, 2018

637. मुखड़ा पंकज-सा (कुंडलिया)

637. मुखड़ा पंकज-सा (कुंडलिया)

मुखड़ा पंकज-सा  खिला, भौहें  लगे  कटार।
अधर गुलाबी  अधखिले, नैनन  चढ़ा  खुमार।
नैनन  चढ़ा   खुमार, कपोलों  पर   है  लाली।
यौवन   भरे  उछाल,  चक्षु    मूँदे    मतवाली।
कामी व्याकुल फिरें,कहें अब किससे दुखड़ा।
ऋषियों का तप भंग, करे यह पंकज मुखड़ा।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
11.11.2018
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