Saturday, November 17, 2018

641. लिव-इन वाले आजकल (कुंडलिया)

641. लिव-इन वाले आजकल (कुंडलिया)

लिव - इन  वाले आजकल, लूट  रहे आनंद।
रोज   नई   इक   देह   में,   ढूँढ़ें   परमानंद।
ढूँढ़ें   परमानंद,   खोज   को  रखते   जारी।
हैं  दायित्व-विहीन,  नहीं   कुछ  जिम्मेदारी।
यहाँ - वहाँ  मुँह  मार, मजे  करते  मतवाले।
सच में यही स्वतंत्र, रिलेशन लिव-इन वाले।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
17.11.2018
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