626. किसी के आगमन की (मुक्तक)
किसी के आगमन की सुगबुगाहट हो रही देखो।
यही सब सोच तन में कुलबुलाहट हो रही देखो।
नहीं काबू में है यह दिल हिलोरें खा रहा है मन।
अधर हैं मौन केवल थरथराहट हो रही देखो।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
04.11.2018
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626. किसी के आगमन की (मुक्तक)
किसी के आगमन की सुगबुगाहट हो रही है।
तभी से देह-दिल में कुलबुलाहट हो रही है।
हृदय बेचैन सा है अरु हुआ है बावला मन।
अधर हैं मौन केवल थरथराहट हो रही है।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
04.11.2018
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