Saturday, November 10, 2018

633. धर्मांतरण (लेख)

633. धर्मांतरण

कल मेरे एक मित्र ने फोन पर कहा कि "भाई आजकल का माहौल देखकर, मैंने धर्म परिवर्तन की सोची है"। तो मैंने कहा भाई मैं इसमें क्या कर सकता हूँ। वह बोला "तुम्हें कुछ नहीं करना। मैंने तुम्हें यह बताने के लिए फोन किया कि मैं हिंदू बनना चाहता हूँ"। मैंने कहा तो इसमें समस्या क्या है? इस कार्य में जो लोग लगे हुए हैं, उनसे मिल लो।

उसने कहा "समस्या मुझे नहीं, समस्या उन्हें है। उन्हें समझ में नहीं आ रहा वे मुझे किस वर्ण में रखें। मेरी माँग है कि मुझे सर्वोच्च वर्ण दिया जाय"।

मैंने कहा यह कैसे हो सकता? अभी तुम हिन्दू धर्म में घुस भी नहीं पाए और वर्ण चाहिए सर्वोच्च। अरे भाई यहां लोग हजारों वर्ष से सामाजिक समानता के लिए रिरिया रहे हैं। बेचारों की पीढियां की पीढ़ियां खप गयीं फिर भी अगले वर्ण में प्रमोशन नहीं हो पाया, और तुम हो कि आते ही सर्वोच्च वर्ण चाहिए।

इस पर वह बोला "क्यों नहीं हो सकता जब एक बाहरी सांसद को दूसरी पार्टी में शामिल होते ही मंत्री पद मिल जाता है, तो मुझे हिन्दू धर्म में शामिल होने पर सर्वोच्च वर्ण क्यों नहीं मिल सकता?

इसके बाद मुझे कुछ सूझा नहीं तो फोन काटना ही ठीक समझा। 

रणवीर सिंह 'अनुपम'
10.11.2018
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