Saturday, November 17, 2018

644. हाय तुम यह हाथ (गजल)

644. हाय तुम यह हाथ (गजल)

हाय  तुम  यह  हाथ  किसका  गह  गए।
ख़्वाब सब  टीलों के  माफिक  ढह  गए।

कौन   कहता  है   तड़फ   में   है   मजा,
जो   कहे   वो   झूठ   सारा   कह   गए।

कैसे   कह   दूँ    आप   से   नाराज   हूँ,
रंजो-गम  जब  अश्रु  बनकर   बह  गए।

पेड़   से   लिपटी   लता   को   देखकर,
कसमसाकर  हर  तड़फ  को  सह  गए।

लव पे रुख पर गाल पर किस पर लिखूँ,
देखते   अरु    सोचते   हम    रह    गए।

रणवीर सिंह
*****
17.11.2018

644. रेत के टीलों की तरह (गजल)

रेत   के   टीलों   के  माफिक   ढह   गए।
गहते - गहते   हाथ   किसका  गह   गए।

कौन   कहता   है   तड़फ   में    है   मजा,
कहने    वाले    झूठ    काहे    कह   गए।

कैसे   कह    दूँ    आप    से   नाराज   हूँ,
रंजो-गम   जब  अश्रु   बनकर   बह  गए।

पेड़   से    लिपटी    लता   को   देखकर,
कसमसाकर  हर  तड़फ   को  सह  गए।

लव पे रुख पर  गाल पर  किस पर लिखूँ,
देखते    अरु    सोचते    हम    रह    गए।

रणवीर सिंह
*****
17.11.2018

 

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