Sunday, November 18, 2018

646. ख्वाब तेरे प्यार के (गजल)

646. ख्वाब तेरे प्यार के (गजल)

ख्वाब   तेरे   प्यार  के   पलते  रहे।
शाम  से  सुबह  तलक  छलते  रहे।

आप जब भी ले गए मुझको जिधर,
थामकर  उँगली   उधर  चलते  रहे।

जब समर्पण कर दिया तो उज़्र क्यों,
जैसा   ढाला   आपने   ढलते   रहे।

सामने   तेरे    प्रिये   निःसहाय   से,
बैठकर  बस   हाथ  ही  मलते  रहे।

ऐ  शमा  तू तो  जली  बस  रातभर,
हम  तो  सारी  उम्र  ही  जलते  रहे।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
18.11.2018
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